आठवें भाव में बैठा हुआ मंगल मांगलिक दोष प्रदान करता है और इसका प्रभाव स्वास्थ्य पर अधिक पड़ता है धन पर तो होता ही है परंतु यह स्वास्थ्य के साथ क्रोध और व्यक्तित्व पर सबसे अधिक असर डालता है विशेष तौर से दांपत्य जीवन में सबसे ज्यादा कष्ट प्रदान करता है शादी में विलंब भी होता है और शादी हो जाने पर दांपत्य जीवन में तनाव भी हो जाते हैं और शुक्र के साथ में होने से तो यह स्थिरता के साथ में हो जाता है क्योंकि मंगल दुष्कृती योग कारक होता है यह विदेश के लिए तो अच्छा परिणाम प्रदान करता है परंतु पत्नी के स्वास्थ्य पर असर डालता है और सबसे ज्यादा अच्छे फल मंगल सामाजिकता के प्रदान करता है वाणी के प्रधान करता है प्रभावशीलता के प्रदान करता है अष्टम के मंगल की एक ही विशेषता होती है कि जब आप किसी से मिलते हैं विशेष तौर से प्रोफेशनल में तो उसके ऊपर में बहुत अच्छी छाप छोड़ते हैं मंगल का संबंध व्यक्तिगत जीवन में जितना तनाव का कारक होता है उतना ही प्रोफेशनल जीवन में प्रभाव का कारण होता है शुक्र सरल योग अर्थात कंपटीशन में क्षमता का कारक मिलनसारिता का कारक और लग्नेश अष्टम भाव में होने के प्रभाव से जो भी विचार बनते हैं जैसे प्लान भविष्य के दूरगामी वह बहुत अच्छे बनते हैं और लाइफ़स्टाइल में निरंतरता गति बढ़ती जाती है निसंदेह अष्टम भाव का शुक्र सौंदर्य का कारक भी है आप देखने में सुंदर होंगे और सबसे आगे रहने की प्रवृत्ति भी शुक्र पैदा करता है और कहीं अगर आपकी पत्रिका में शनि बलवान हुआ तो निश्चित तौर से आप आर्थिक उन्नति बहुत अच्छी श्रेणी के करने वाले व्यक्ति होंगे क्योंकि शुक्र एक ऐसा ग्रह है जो किसी भी भाव में बैठ कर के सबसे ज्यादा बल लाइफस्टाइल की और प्रदान करता है आपको बस अपने गुस्से पर जरूर नियंत्रण रखना चाहिए कोई भी निर्णय भावनाओं में बह करके अथवा जल्दबाजी में ना करें क्योंकि यहां पर मंगल और शुक्र सहयोग नहीं करते हैं